Diwali poems in hindi

दीवाली पर एक बघेली भाषा की बेहतरीन कविता

Diwali hd image
श्री गणेशाय नमः
नमन सोंधी माटी लोनी बघेली मंच।

घनाक्षरी

दिया तुम बनाइ के,
घिउ मा भिंजाइ के।
सरस्वती पुजाइ के,
दीप तुम जराबा।।
क्रोध का भुलाइ के ,
मिल लिहा लहाइ के।
कुसुली बनबाइके , 
भोज तुम कराबा।।

टठिया सजाइ के,
नरियर मगाइ के।
कलशा बइठाइके , 
चौंक तुम पुराबा।।
धनदेबी मा आइके,
खीर मधुर खाइके।
बढ़िंयाँ ठहराइके,
किस्मत फहराबा।।

फरिका तू छपाइ के,
छुहिन से पुताइके।
घर का चमकाइके,
घूर तुम हटाबा।।
गइया नहबाइके,
सींघ का रँगवाइके।
लड़िकौ मिलि काम मा,
हाथ तुम बँटाबा।।

घर घर मा जाइके,
सबका गोहराइके।
कोयल अस गाइके,
विरोध का घटाबा।।
फुलझरी जलाइके,
चकरिउ घुमाइके।
प्रेम रूप बंब का,
सबतर फटाबा।।

देशी पकबान होंय,
देशिन मिष्ठान होय।
चाइना लड़ी रीझ ,
कबौ नहिं मँगाबा।।
भारत के मान खोय,
लिहा ना समान ढोय।
छान्हिंन मा भारत कै,
ध्वजा तुम टँगाबा।।

सरहद मा सैनिक जी,
जूझि मरैं दैनिक जी।
उनखे कुरबानी का,
सेंति नहिं ठगाबा।।
संकट मा देश होय,
कूद परा स्वार्थ खोय।
अपने ईं ओन्हन का,
खून दइ रँगाबा।।

🙏जयश्रीरामजी🙏
एक कविता
I am Sharing a Hindi poem . The lines are really meaningful and beautiful.
Diwali hd image
-कभी तानों में कटेगी,
कभी तारीफों में;
ये जिंदगी है यारों,
पल पल घटेगी !!
-पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
फिर भी क्यों चिंता करते हो,
इससे सिर्फ खूबसूरती घटेगी,
ये जिंदगी है यारों पल-पल घटेगी !
-बार बार रफू करता रहता हूँ,
...जिन्दगी की जेब !!
कम्बखत फिर भी,
निकल जाते हैं...,
खुशियों के कुछ लम्हें !!

-ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही...
ख़्वाहिशों का है !!
ना तो किसी को गम चाहिए,
ना ही किसी को कम चाहिए !!

-खटखटाते रहिए दरवाजा...,
एक दूसरे के मन का;
मुलाकातें ना सही,
आहटें आती रहनी चाहिए !!

-उड़ जाएंगे एक दिन ...,
तस्वीर से रंगों की तरह !
हम वक्त की टहनी पर...,
बेठे हैं परिंदों की तरह !!

-बोली बता देती है,इंसान कैसा है!
बहस बता देती है, ज्ञान कैसा है!
घमण्ड बता देता है, कितना पैसा है !
संस्कार बता देते है, परिवार कैसा है !!

-ना राज़  है... "ज़िन्दगी",
ना नाराज़ है... "ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है, ज़िन्दगी!

-जीवन की किताबों पर,
बेशक नया कवर चढ़ाइये;
पर...बिखरे पन्नों को,
पहले प्यार से चिपकाइये !!!
*****
Diwali hd image
दीवाली का प्राचीन प्रसंग
अयोध्या वापस आने पर मां कौशल्या ने श्रीराम से पूछा... *"रावण"* को मार दिया.....?
भगवान श्रीराम ने सुन्दर जवाब दिया 
महाज्ञानी,महाप्रतापी,महाबलशाली,प्रकांड-पंडित, महाशिवभक्त, चारो वेदो के ज्ञाता, शिव ताण्डवस्त्रोत के रचयिता 
  *"लंकेश"* को मैंने नहीं मारा,
                  उसे *"मैं"* ने मारा है।  
समर बिजय रघुबीर के, चरित जे सुनहिं सुजान।
बिजय बिबेक बिभूति नित, तिनहिं देहिं भगवान।।"
भगवान् श्रीरामजी के समर विजय अर्थात् श्रीराम-रावण युद्ध विजय चरित्र को जो चतुर लोग सुनते हैं और सुनेंगे उन्हें भगवान् श्रीराम निरन्तर विजय, विवेक और विभूति प्रदान करते रहेंगे।
आओ हम सब अहंकार छोड़ दे
बुराई पर अच्छाई एवं असत्य पर सत्य की जीत के पर्व 🏹 *"दीपावली"*  🏹की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
अगर यह पोस्ट आपको पसंद आए तो अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें और कमेंट करने न भूलें।
धन्यवाद। 

Comments

Popular posts from this blog

स्वामी विवेकानंद जी का बाल्यकाल

स्वामी विवेकानंद जी का प्रेरक प्रसंग

Birth of swami vivekanand