स्वामी विवेकानंद जी का प्रेरक प्रसंग प्रेणादायक कथन एक बार स्वामी विवेकानंद के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो बहुत दुखी लग रहा था। उस व्यक्ति ने आते ही स्वामीजी के पैरों में गिर पड़ा और बोला कि मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूं, मैं बहुत मेहनत करता हूं, लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाता हूं। बेहतरीन कोट्स उसने विवेकानंद से पूछा कि भगवान ने मुझे ऐसा नसीब क्यों दिया है? मैं पढ़ा-लिखा और मेहनती हूं, फिर भी कामयाब नहीं हूं। स्वामीजी उसकी परेशानी समझ गए। उस समय स्वामीजी के पास एक पालतू कुत्ता था, उन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि तुम कुछ दूर तक मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ। इसके बाद तुम्हारे सवाल का जवाब देता हूं। वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो गया, फिर भी कुत्ते को लेकर निकल पड़ा। कुत्ते को सैर कराकर जब वह व्यक्ति वापस स्वामीजी के पास पहुंचा तो स्वामीजी ने देखा कि उस व्यक्ति का चेहरा अभी भी चमक रहा था, जबकि कुत्ता बहुत थका हुआ लग रहा था। स्वामीजी ने व्यक्ति से पूछा कि यह कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया, जबकि तुम तो बिना थके दिख रहे हो। व्यक्ति ने जवाब दिया कि मैं तो सीधा-साधा...
सबसे पहले तो आप सभी को स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस (राष्ट्रीय युवा दिवस) की शुभकामनाएं। जब नरेंद्र बाल्यकाल अवस्था में थे तब उन्होंने एक बार बताया कि जब वे ध्यान के लिए बैठते हैं तो उन्हें दोनों भौहों के बीच एक ज्योतिष पिंड सा दिखलाई पड़ता है और यही बात रात को सोते समय भी उनके साथ होती है किंतु नरेंद्र ने कभी इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया था उन्हें लगता था कि सभी के साथ ऐसा ही होता है और यह बड़ी साधारण सी बात उन्हें कभी भी अपने अंदर विद्वान अलौकिक शक्ति का आभास नहीं हुआ। National youth day एकाग्रता और ध्यानमग्नता एक बार नरेंद्र अपने दोस्तों के साथ कमरे में ध्यान मग्न थे तभी उनमें से एक दोस्त ने आकर भयानक नाग को वहां देखा उसने चिल्लाकर दूसरे दोस्तों को बताया सभी दोस्त डर कर वहां से इधर-उधर भागने लगे मगर नरेंद्र उस जगह ध्यान मग्न बैठे रहे उन लोगों ने चीख चिल्लाकर नरेंद्र को नाग की बात बताई मगर नरेंद्र ने अपनी आंखें नहीं खोली वह ध्यान मग्न ही रहे। नाग नरेंद्र के सामने ही अपना...
मिलते जुलते रहा करो . . . . . धार वक़्त की बड़ी प्रबल है ! इसमें लय से बहा करो !! जीवन कितना क्षण भँगुर है ! मिलते जुलते रहा करो !! . . यादों की भरपूर पोटली ! क्षणभर में न बिखर जाए !! दोस्तों की अनकही कहानी ! तुम भी थोड़ी कहा करो !! . . हँसते चेहरों के पीछे भी ! दर्द भरा हो सकता है !! यही सोच मन में रखकर के ! हाथ दोस्त का गहा करो !! . . सबके अपने-अपने दुःख हैं ! अपनी-अपनी पीड़ा है !! यारों के सँग थोड़े से दुःख ! मिलजुल कर के सहा करो !! . . किसका साथ कहाँ तक होगा ! कौन भला कह सकता है ?? मिलने के कुछ नए बहाने ! रचते - बुनते रहा करो !! . . मिलने जुलने से कुछ यादें ! फिर ताज़ा हो उठती हैं !! इसीलिए यारों नाहक भी ! मिलते जुलते रहा करो !! - - - - - - - - - - अपनों को समर्पित माता यशोदा अपने लाल को रात्री में शयन से पूर्व, श्री राम-कथा सुना रहीं हैं- "सुनि सुत,एक कथा कहौं प्यारी" नटखट श्री कृष्ण भी कुछ कम नहीं, तुरन्त तत्पर हो गये भोली माता के मुँह से अपनी ही राम-कथा सुनने...
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