Life is a special poetry
मिलते जुलते रहा करो.
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धार वक़्त की बड़ी प्रबल है !
इसमें लय से बहा करो !!
जीवन कितना क्षण भँगुर है !
मिलते जुलते रहा करो !!
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यादों की भरपूर पोटली !
क्षणभर में न बिखर जाए !!
दोस्तों की अनकही कहानी !
तुम भी थोड़ी कहा करो !!
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हँसते चेहरों के पीछे भी !
दर्द भरा हो सकता है !!
यही सोच मन में रखकर के !
हाथ दोस्त का गहा करो !!
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सबके अपने-अपने दुःख हैं !
अपनी-अपनी पीड़ा है !!
यारों के सँग थोड़े से दुःख !
मिलजुल कर के सहा करो !!
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किसका साथ कहाँ तक होगा !
कौन भला कह सकता है ??
मिलने के कुछ नए बहाने !
रचते - बुनते रहा करो !!
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मिलने जुलने से कुछ यादें !
फिर ताज़ा हो उठती हैं !!
इसीलिए यारों नाहक भी !
मिलते जुलते रहा करो !!
- - - - - - - - - - अपनों को समर्पित
माता यशोदा अपने लाल को रात्री में शयन से पूर्व, श्री राम-कथा सुना रहीं हैं-
"सुनि सुत,एक कथा कहौं प्यारी"
नटखट श्री कृष्ण भी कुछ कम नहीं, तुरन्त तत्पर हो गये भोली माता के मुँह से अपनी ही राम-कथा सुनने को, देखूँ तो माता कैसे सुनाती है? इतना ही नहीं बड़े प्रसन्न मन से ध्यानपूर्वक कथा भी सुन रहे हैं और साथ-साथ माता के प्रत्येक शब्द पर-
"चतुर सिरोमनि देत हुँकारी"
हुँकारी भी भरते जा रहें हैं कि माता का ध्यान कथा सुनाने से हटे नहीं।माता यशोदा ने पूरी राम-कथा विस्तार पूर्वक सुनाई और नटखट लाल ने हुँकारी भर-भर के सुनी। कथा सुनाते-सुनाते माता यशोदा सीता-हरण प्रसंग पर पहुँची, माता ने कहा-
"और तब रावण बलपूर्वक जानकी जी का हरण कर के ले जाने लगा........."
इतना सुनना था कि लाल की तो नींद भाग गई, तुरन्त उठ बैठे और ज़ोर से पुकार लगाई-
"लक्ष्मण! लक्ष्मण! कहाँ हो? लाओ मेरा धनुष दो! धनुष! वाण दो!"
माता भौचक्की !! हे भगवान ! ये क्या हो गया मेरे लाल को? आश्चर्य में भरकर अपने लला से पूछ बैठी-
"क्या हो गया तुझे ? मैं तुझे कहानी सुना कर सुलाने का प्रयास कर रही हूँ और तू है कि उल्टे उठ कर बैठ गया।"
मैया का लाडला नन्हा सा लला बोला-"माँ ! सौमित्र से कहो मेरा धनुष-वाण लाकर दे मुझे। मैं अभी रावण का वध कर देता हूँ, मेरे होते कैसे सीता का हरण कर लेगा।"
मैया अवाक ! हतप्रभ ! कैसी बातें कर रहा है यह।बोली-"उसे तो राम ने मारा था। राम त्रेतायुग में हुये थे और वे तो परमब्रह्म परमात्मा थे। तू क्यों उसे मारेगा?" " मैया के हृदय में हलचल मच गई, तनिक सा भय भी।
नटखट कान्हा ने मैया की ओर देखा, मैया को कुछ अचम्भित कुछ भयभीत देख उन्हें आनन्द आया। मैया को और अचंम्भित करने के लिये बोले-"मैं ही तो राम हूँ,मैं ही त्रेतायुग में हुआ था और मैं ही परमब्रह्म परमात्मा हूँ।"
अब मैया का धैर्य छूट गया, भय से विह्वल होकर बोली-"ऐसा मत बोल कनुआ....मत बोल। कोई भगवान के लिये ऐसा बोलता है क्या? पाप लगेगा।" नटखट कान्हा मैया की दशा देख, मन ही मन आन्नदित होते हुये बोले- "सच कह रहा हूँ मैया मैं राम और दाऊ भैया सौमित्र थे।"
अब तो मैया के हृदय में यह शंका पूर्ण रूपेण घर कर गई कि मेरे लला पर कोई भूतप्रेत आ गया है जो यह अंट-शंट बके जा रहा है। इसी बीच रोहिणी जी आ गईं और यशोदा जी को अति व्याकुल चिंतित व किंकर्तव्यविमूढ़ सा देख कर ढाढँस बधाने लगीं-
"संभव है आज दिन में किसी नाटक में इसे राम का पात्र दे दिया होगा, इसी से यह स्वयं को राम समझ बैठा है"
"हाँ, यही हुआ होगा....है भी तो काला-कलूटा बिल्कुल राम की भाँति"- यशोदा जी की सांस में सांस आई।
तभी नटखट नन्हे कान्हा पुनः कुछ तर्क प्रस्तुत करने को तत्पर हुये....कि झुझँलाई हुई मैया ने हाथ का थप्पड़ दिखाते हुये कहा-
"चुप सोजा नहीं तो अभी एक कस के जड़ दूँगी। अब नटखट लला ने मैया के आँचल में दुबक कर चुपचाप सो जाने में ही अपनी भलाई समझी.....हाँ पिटना कोई समझदारी थोड़े ही है। कोटीश नमन वात्सल्यमयी माँ और नटखट ननहें सुत को।
*🔥बहुत सुन्दर और ज्ञान वर्धक प्रसंग...🔥*
*पहली बात: हनुमान जी जब संजीवनी बूटी का पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान से कहते है:- ''प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था, बल्कि मेरा भ्रम दूर करने के लिए भेजा था, और आज मेरा ये भ्रम टूट गया कि मैं ही आपका राम नाम का जप करने वाला सबसे बड़ा भक्त हूँ''।*
*भगवान बोले:- वो कैसे ...?*
*हनुमान जी बोले:- वास्तव में मुझसे भी बड़े भक्त तो भरत जी है, मैं जब संजीवनी लेकर लौट रहा था तब मुझे भरत जी ने बाण मारा और मैं गिरा, तो भरत जी ने, न तो संजीवनी मंगाई, न वैध बुलाया।*
*कितना भरोसा है उन्हें आपके नाम पर, उन्होंने कहा कि यदि मन, वचन और शरीर से श्री राम जी के चरण कमलों में मेरा निष्कपट प्रेम हो, यदि रघुनाथ जी मुझ पर प्रसन्न हो तो यह वानर थकावट और पीड़ा से रहित होकर स्वस्थ हो जाए।*
*उनके इतना कहते ही मैं उठ बैठा।*
*सच कितना भरोसा है भरत जी को आपके नाम पर।*
*🔥शिक्षा :- 🔥*
*हम भगवान का नाम तो लेते है पर भरोसा नही करते, भरोसा करते भी है तो अपने पुत्रो एवं धन पर, कि बुढ़ापे में बेटा ही सेवा करेगा, धन ही साथ देगा।*
*उस समय हम भूल जाते है कि जिस भगवान का नाम हम जप रहे है वे है, पर हम भरोसा नहीं करते।*
*बेटा सेवा करे न करे पर भरोसा हम उसी पर करते है।*
*🔥दूसरी बात प्रभु...! 🔥*
*बाण लगते ही मैं गिरा, पर्वत नहीं गिरा, क्योकि पर्वत तो आप उठाये हुए थे और मैं अभिमान कर रहा था कि मैं उठाये हुए हूँ।*
*मेरा दूसरा अभिमान भी टूट गया।*
*🔥शिक्षा :- 🔥*
*हमारी भी यही सोच है कि, अपनी गृहस्थी का बोझ को हम ही उठाये हुए है।*
*जबकि सत्य यह है कि हमारे नहीं रहने पर भी हमारा परिवार चलता ही है।*
*जीवन के प्रति जिस व्यक्ति कि कम से कम शिकायतें है, वही इस जगत में अधिक से अधिक सुखी है।*
*🔥जय श्री सीताराम जय श्री बालाजी🔥*
*लेख को पढ़ने के उपरांत जनजागृति हेतु साझा अवश्य करे।*राधेश्याम*
*⛳जय श्री राम⛳*
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