व्यक्तित्व quotes
व्यक्तित्व
चरित्र एक वृक्ष है... और...
प्रतिष्ठा यश सम्मान उसकी छाया...
लेकिन
विडंबना यह है कि...
वृक्ष का ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं...
*🙏 🙏*
भक्ति पर आधारित कुछ पंक्तियाँ
भक्त मेरे मुकुटमणि, मैं हूं भक्तन का दास।
भक्तन के पाछे फिरुं चरणधूलि की आस।।
भक्त जहाँ पग धरें, तहां धरु मैं माथ।
एक पल न बिसरुं, हरदम रहूं साथ।।
करें जो ध्यान मेरा, मैं उनका ध्यान लगाऊं।
गरुड़ छोड़, गोलोक त्याग के, नंगे पैर धाऊं।।
जो आंसू बहाए, तो मैं दस गुना बहा दूं।
जो शरणागत हो, तो मैं अपना सर्वस्व दे दूं।।
मोको भजे, भजूं मैं उनको, हूं दासों का दास।
सेवा करें, करुं मैं सेवा को उनकी सच्चा विश्वास।।
जूठा खाऊं, गले लगाऊं, नहीं जाति को ध्यान।
आचार विचार कछु देखूं नहीं, देखूं प्रेम सम्मान।।
अपना प्रण बिसार, भक्त का प्रण निभाऊं।
मैं दास बनूं, काहे सो बेचे तो बिक जाऊं।।
पग चापूं, सेज बिछाऊं, हजाम बनूं, गाड़ीवान बन जाऊं।
हाकूं बैल, नौकर बनूं बिन तनख्वाह, जूठे बेर, छिलके खाऊं।।
जो कोई भक्ति करे कपट, उसको भी अपनाऊं।
साम, दाम और दंड भेद से सीधे रास्ते लाऊं।।
नकल से असल वादी बनाऊं।
जो कर्ता मुझे ठहरावे उसके बलिहारी जाऊं।।
जो हरदम मेरे गुन गाए, रहूं उसके पास।
भक्ति करे पाताल में, प्रगट करुं आकास।।
भक्त मेरे मुकुटमणि, मैं हूं भक्तन का दास।
भक्तन के पाछे फिरुं चरणधूलि की आस।।
आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र
जल्दी जागना हमेशा ही
फायदेमंद होता हैं
फिर चाहे वो नींद में से हो
या फिर अहम् और वहम में से हो
समझदार व्यक्ति कई बार जवाब
होते हुए भी पलट कर नही बोलते
क्यों कि कई बार रिश्तों को जिताने
के लिए खामोश रह कर हारना जरूरी होता है।
किसी ने सच ही कहा है
कि लड़ना चाहता हूं अपनों से
लेकीन डरता हूँ, कि जीत गया
तो सब कुछ हार जाऊँगा
मन में विश्वास रखकर कोई
हार नही सकता
औऱ
मन में शंका रखकर कोई जीत
नही सकता
मनुष्य को धोखा
मनुष्य नही देता है
बल्कि
वो उम्मीदें धोखा दे जाती है
जो वो दूसरों से रखता है
प्रत्येक चीज अपने समय पर
होगी
प्रतिदिन बेहतर काम करें
समय पर फल जरुर मिलेगा।
🙏🌹🍀🌹🍀🌹🍀🌹🙏
बुझी शमा भी जल सकती हैं,
तूफान से कश्ती भी निकल सकती हैं,
होके मायूस यू ना अपने इरादे बदल,
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती हैं....
🙏🌹🍀 *जय माँ भद्रकाली*🍀🌹🙏
केवल मलय पर्वत के संग होने मात्र से बाँस (का पेड़) चन्दन का नहीं बन जाएगा। जिनके अन्दर कोई सार नहीं है, उनसे रस कैसे निकलेगा?*
सत् उपजे ना खेत में ..,
मिले न हाट बाजार .... ।
निज भीतर सत् खोजिए ..,
भर्यो "तेजस" भंडार ... ।।
जो व्यक्ति आपको नीचे गिराने की कोशिश करता है,
उस व्यक्ति पर तरस खाओ क्योंकि,वह पहले से ही आपसे नीचे है,
दान करने से रुपया जाता है लक्ष्मी नहीं
घड़ी बंद करने से घड़ी बंद होता हैं समय नहीं
झूठ छुपाने से झूठ छुपता है सच नहीं
माना दुनियाँ बुरी है सब जगह धोखा है
लेकिन हम तो अच्छे बने हमें किसने रोका है
रिश्तें मौके के नहीं भरोसे के मोहताज होते है
सभी शब्दों का अर्थ मिल सकता है परन्तु
जीवन का अर्थ जीवन जी कर और
सबंध का अर्थ सबंध निभाकर ही मिल सकता है
यदि मनुष्य कुछ
सीखना चाहे, तो उसकी
प्रत्येक भूल कुछ न कुछ सीखा देती है।
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🙏सुप्रभात 🙏
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