स्वामी विवेकानंद जी का बाल्यकाल
![Image](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqP_NmUgQWmfCZ3wLUjh_j-nl7HoC_imj5jT-oLrGQUtcPi4EeCGbyGrR659fklBS9wNha8-zc0Drj7LUmKE-WhyphenhyphenzJqCvvQZehJsuZVdMnaSeCwcDWse94sgcmdCegUCAfFkO5X76NzDI/s320/images+%25283%2529.jpeg)
सबसे पहले तो आप सभी को स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस (राष्ट्रीय युवा दिवस) की शुभकामनाएं। जब नरेंद्र बाल्यकाल अवस्था में थे तब उन्होंने एक बार बताया कि जब वे ध्यान के लिए बैठते हैं तो उन्हें दोनों भौहों के बीच एक ज्योतिष पिंड सा दिखलाई पड़ता है और यही बात रात को सोते समय भी उनके साथ होती है किंतु नरेंद्र ने कभी इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया था उन्हें लगता था कि सभी के साथ ऐसा ही होता है और यह बड़ी साधारण सी बात उन्हें कभी भी अपने अंदर विद्वान अलौकिक शक्ति का आभास नहीं हुआ। National youth day एकाग्रता और ध्यानमग्नता एक बार नरेंद्र अपने दोस्तों के साथ कमरे में ध्यान मग्न थे तभी उनमें से एक दोस्त ने आकर भयानक नाग को वहां देखा उसने चिल्लाकर दूसरे दोस्तों को बताया सभी दोस्त डर कर वहां से इधर-उधर भागने लगे मगर नरेंद्र उस जगह ध्यान मग्न बैठे रहे उन लोगों ने चीख चिल्लाकर नरेंद्र को नाग की बात बताई मगर नरेंद्र ने अपनी आंखें नहीं खोली वह ध्यान मग्न ही रहे। नाग नरेंद्र के सामने ही अपना फन फैलाए बैठा था उनके दोस्तों की चीख-पुकार सुनकर घर वाले भी वहा