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स्वामी विवेकानंद जी का बाल्यकाल

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 सबसे पहले तो आप सभी को स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस (राष्ट्रीय युवा दिवस) की शुभकामनाएं। जब नरेंद्र बाल्यकाल अवस्था में थे तब उन्होंने एक बार बताया कि जब वे ध्यान के लिए बैठते हैं तो उन्हें दोनों भौहों के बीच एक ज्योतिष पिंड सा दिखलाई पड़ता है और यही बात रात को सोते समय भी उनके साथ होती है किंतु नरेंद्र ने कभी इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया था उन्हें लगता था कि सभी के साथ ऐसा ही होता है और यह बड़ी साधारण सी बात उन्हें कभी भी अपने अंदर विद्वान अलौकिक शक्ति का आभास नहीं हुआ।                         National youth day एकाग्रता और ध्यानमग्नता एक बार नरेंद्र अपने दोस्तों के साथ कमरे में ध्यान मग्न थे तभी उनमें से एक दोस्त ने आकर भयानक नाग को वहां देखा उसने चिल्लाकर दूसरे दोस्तों को बताया सभी दोस्त डर कर वहां से इधर-उधर भागने लगे मगर नरेंद्र उस जगह ध्यान मग्न बैठे रहे उन लोगों ने चीख चिल्लाकर नरेंद्र को नाग की बात बताई मगर नरेंद्र ने अपनी आंखें नहीं खोली वह ध्यान मग्न ही रहे। नाग नरेंद्र के सामने ही अपना फन फैलाए बैठा था उनके दोस्तों की चीख-पुकार सुनकर घर वाले भी वहा

Swami vivekanand quotes in hindi

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Swami vivekanand नव वर्ष में आप सभी को प्रेरणादायक सफलताएं मिलें।🙏🙏🙏 दोस्तों आज मैं स्वामी विवेकानंद जो कि महान प्रेरणा स्त्रोत है उनके कुछ विचार आपसे शेयर करने जा रहा हूं। कर्म वही है जिसके द्वारा आत्म भाव का विकास हो और जिसके द्वारा अनात्म भाव का विकास हो वह कर्म नहीं है। किसी से बहस करने की आवश्यकता नहीं तुम्हें जो कुछ सिखाना है सिखाओ औरों की बात में मत भूल जाओ उनको अपनी अपनी धुन में मस्त रहने दो सदैव सत्य की जीत होती है। किसी विषय में मन को चारों और से खींचकर लगाने का नाम ही ध्यान एकाग्र करने की शक्ति आ जाने से फिर चाहे जिस विषय में मन को एकाग्र किया जा सकता है चालाकी से कोई बड़ा काम नहीं होता प्रेम सच्चाई पर प्रीति और पराक्रम की सहायता से सारे काम से तो होते हैं  'तत्कुरूम पौरूषम' अब तो उद्योग करो। विपरीत परिस्थितियों से हम विचलित ना हो पाए यह सीखने के बाद हमें यह भी सीखना पड़ेगा कि सुख से हम फूल ना उठे  हमें अपने को मंगल  आमंगल दोनों से परे समझना पड़ेगा कि जहां एक से संबंध जोड़ा दूसरा जरूर आ जाएगा। लोहा जब तक गर्म होता है तभी उसे चोट लग सकती है सुस

Swami vivekananda inspirational thoughts

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                 Birth of swami vivekanand Friends, today I am going to share some thoughts of Swami Vivekananda who is a great inspiration . Karma is the one through which the development of self-feeling and through which the development of the selfless spirit is not karma. I neither want liberation nor devotion I am ready to go to Maharaurva hell, it is my religion to serve only the poor people and to do good in the same way that spring does good for the whole world. Truth can be said in every way and yet in every way it can be true. There is no need to argue with anyone, teach you what you have to teach and do not forget about others, let them stay in their own tune, always the victory of truth. There is no big work by cleverness, love is done with the help of love and might on the truth, then work hard. After learning that we could not get distracted by adverse situations, we will also have to learn that we do not get blossomed from happiness, we have to understan

स्वामी विवेकानंद जी का जन्म

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स्वामी विवेकानंद जी का जन्म स्वामी विवेकानंद जी का प्रेरक प्रसंग स्वामी विवेकानंद के जन्म के संबंध में घटना प्रचलित है की एक रात भुवनेश्वरी देवी ने स्वप्न में देखा कि भगवान शंकर उनके सामने खड़े हैं वह अपने आराध्य देव को देखकर भावविभोर हो गई और उनकी भक्ति करने लगी देखते ही देखते शिवजी एक शिशु के रूप में बदल गए और भुवनेश्वरी देवी की गोद में बैठे उसके बाद भुवनेश्वरी देवी की नींद खुल गई। सपने के फल स्वरुप 12 जनवरी 1863 ई. को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ।  परिवार के सदस्यों की ओर से बालक के नाम का प्रस्ताव दुर्गादास आया है परन्तु माँ ने शिव का वरदान मान उसको वीरेश्वर नाम दिया संक्षिप्त के विले कहकर पुकारने लगे बाद में उनका नाम नरेंद्र रखा गया।  नरेंद्र बाल काल में शरारती स्वभाव के थे इस कारण परिवार का प्यार दुलार था घर का कामकाज निपटा कर परिवार की सभी स्त्रियां एक जगह इकट्ठा हो जाती थी और धार्मिक विषय पर बातचीत करती रहती थी कभी रामायण का पाठ होता तो कभी महाभारत का ऐसे समय में शरारती नरेंद्र परिसर औरतों को छोड़कर चुपचाप वहां बैठ जाता और धार्मिक बातों को बड़े ध्यान से सुनता।

Birth of swami vivekanand

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Birth of swami vivekanand Swami vivekanand inspiration In connection with the birth of Swami Vivekananda, the incident is prevalent that one night Bhuvaneshwari Devi saw in a dream that Lord Shankar is standing in front of her.He became enchanted by seeing his deity and started devotion to him, seeing Shiva turned into an infant and sat in the lap of Bhuneshwari Devi, after that, the sleep of Bhuvaneshwari Devi opened as a result of the dream from 12 January 1863 AD Swami Vivekananda was born on behalf of the family members Durgadas has come up with a proposal for the name of the child, asking for Shiva's boon, calling him the merger of Vireshwar viley Brief Later, he was named Narendra. Narendra was of a mischievous nature during his childhood, due to this, the love of the family was cherished, all the women of the family used to gather at one place and talk about the religious subject, sometimes the Ramayana. If there was a lesson, then in such a time of Mahabharata, th

माँ

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माँ की वो रसोई Love images hd   मेरी माँ की वो रसोई.. जिसको हम किचन नहीं चौका कहते थे माँ बनाती थी खाना और हम उसके आस पास रहते थे माँ ने उस 4x4 के कोने को बड़े सलिखे से सजाया था कुछ पत्थर और कुछ तख्ते जुगाड़ कर एक मॉडुलर किचेन बनाया था माँ की उस रसोई में खाने के साथ प्यार भी पकता था कोई नहीं जाता था दर से खाली वो चूल्हा सबका पेट भरता था माँ कभी भी बिन नहाये रसोई में ना जाती थी कितनी भी सर्दी हो गहरी माँ सबसे पहले उठ जाती थी जो भी पकता था रसोई में माँ भगवान् का भोग लगाती थी फिर कही जाकर हमारी बारी आती थी उस सादे खाने में प्रसाद सा स्वाद होता था पकता था जो भी बहुत ज्यादा, उसमें प्यार होता था पहली रोटी गाय की दूसरी कुत्ते के नाम की बनती थी कंही कोई औचक आ गया द्वारे ये सोच कुछ रोटियाँ बेनाम भी पकतीं थीं रसोई के उन चद डिब्बोँ और थैलों में ना जाने कितनी जगह होती थी भरे रहते थे सारे डिब्बे चाहे कोई भी मंदी होती थी कुछ डिब्बे चौके के महमानों के आने पर ही खुलते थे और हम सारे के सारे रोज उन डिब्बों के इर्द

Inspirational story of the Amitabh bachhan

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अमिताभ बच्चन जी की सीख Lovely images अमिताभ_बच्चन _कहते_हैं ... "अपने करियर के चरम पर, मैं एक बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहा था। मेरे बगल वाली सीट पे एक साधारण से सज्जन व्यक्ति बैठे थे, जिसने एक साधारण शर्ट और पैंट पहन रखी थी। वह मध्यम वर्ग का लग रहा था, और बेहद शिक्षित दिख रहा था। अन्य यात्री मुझे पहचान रहे थे कि मैं कौन हूँ, लेकिन यह सज्जन मेरी उपस्थिति के प्रति अंजान लग रहे थे ... वह अपना पेपर पढ़ रहे थे, खिड़की से बाहर देख रहे थे, और जब चाय परोसी गई, तो उन्होंने इसे चुपचाप पी लिया । उसके साथ बातचीत करने की कोशिश में मैं उन्हें देख मुस्कुराया। वह आदमी मेरी ओर देख विनम्रता से मुस्कुराया और 'हैलो' कहा। हमारी बातचीत शुरू हुई और मैंने सिनेमा और फिल्मों के विषय को उठाया और पूछा, 'क्या आप फिल्में देखते हैं?' आदमी ने जवाब दिया, 'ओह, बहुत कम। मैंने कई साल पहले एक फिल्म देखा था। ' मैंने उल्लेख किया कि मैंने फिल्म उद्योग में काम किया है। आदमी ने जवाब दिया .. "ओह, यह अच्छा है। आप क्या करते हैं?" मैंने जवाब दिया, &#