माँ

माँ की वो रसोई

Lovely romantic images

मेरी माँ की वो रसोई..
जिसको हम किचन नहीं
चौका कहते थे
माँ बनाती थी खाना
और हम उसके आस पास रहते थे
माँ ने
उस 4x4 के कोने को
बड़े सलिखे से सजाया था
कुछ पत्थर और कुछ तख्ते जुगाड़ कर
एक मॉडुलर किचेन बनाया था
माँ की उस रसोई में
खाने के साथ प्यार भी पकता था
कोई नहीं जाता था दर से खाली
वो चूल्हा सबका पेट भरता था
माँ कभी भी बिन नहाये
रसोई में ना जाती थी
कितनी भी सर्दी हो गहरी
माँ सबसे पहले उठ जाती थी
जो भी पकता था रसोई में
माँ भगवान् का भोग लगाती थी
फिर कही जाकर
हमारी बारी आती थी
उस सादे खाने में
प्रसाद सा स्वाद होता था
पकता था जो भी
बहुत ज्यादा, उसमें प्यार होता था
पहली रोटी गाय की
दूसरी कुत्ते के नाम की बनती थी
कंही कोई औचक आ गया द्वारे
ये सोच
कुछ रोटियाँ बेनाम भी पकतीं थीं
रसोई के उन चद डिब्बोँ और थैलों में
ना जाने कितनी जगह होती थी
भरे रहते थे सारे डिब्बे
चाहे कोई भी मंदी होती थी
कुछ डिब्बे चौके के
महमानों के आने पर ही खुलते थे
और हम सारे के सारे
रोज उन डिब्बों के इर्द गिर्द ही मिलते थे
हर त्यौहार करता था इन्तेजार
हर बात कुछ ख़ास होती थी
कभी मठ्ठी कभी गुंजिया
कभी घेबर की मिठास होती थी
माँ सबको गर्म गर्म खिलाकर
खुद सारा काम कर
आखिर में अक्सर खाती थी
सबको परोसती थी ताज़ा खाना वो
उसके हिस्से अक्सर बासी रोटी ही आती थी
बहुत कुछ बदला माँ के उस चौके में
चूल्हा स्टोव और फिर गैस आ गयी
ढिबरी लालटेन हट गयीं सारी
और फिर रोशन करने वाली टूब लाइट आ गयी
नहीं बदला तो माँ के हाथों का वो अनमोल स्वाद
जो अब भी उतना ही बेहिसाब होता है
कोई नहीं दूर तक मुकाबले में उस स्वाद के
वो संसार में सबसे अनोखा और लाजवाब होता है
अब भी अक्सर
माँ का वो पुराना चौका
बहुत याद आता है
अजीब सा सुकूं भरा एहसास होता है
मुँह और आँख दोनों में पानी आ जाता है!!
मेरी माँ की वो रसोई..
जिसको हम किचन नहीं
चौका कहते थे
माँ बनाती थी खाना
और हम उसके आस पास रहते थे.

सभी माँ  को समर्पित🙏

 Positive quotes 


अगर मैं सोचूं कि मुझे
 किसी की भी ज़रूरत नहीं..
 तो ये मेरा 'अहम' है।।
 और अगर मैं सोचूं कि
 सबको मेरी ज़रूरत है..
 तो ये भी मेरा 'वहम' है।।
रिश्तों की अहमियत
   इंसानी रिश्तों में

 आपस में जितना सहनशीलता  

क्षमाशीलता, और समझदारी होगी.....

       आपसी रिश्तों की उम्र
        उतनी ही लंबी होगी
 सब को इकट्ठा रखने की ताकत प्रेम में है
                   और
 सब को अलग करने की ताकत भ्रम में है।
कभी भी मन मे भ्रम ना पाले
      "सदा मुस्कुराते रहिये"
     हँसते रहिये हंसाते रहिये
मुझे अब डर नहीं लगता
वक़्त जब करवटें बदलता है।
चिराग आँधियों में भी जलता है।
उस को तूफान डुबो नहीं सकता।
जो किनारों से बच के चलता है।।
कही पर गम,तो कही पर सरगम,
ये सारे कुदरत के नज़ारे हैं...
प्यासे तो वो भी रह जाते हैं,
जिनके घर दरिया किनारे हैं..
औरों से जंग में ,
जीत तो आसानी से मिल जाती है !
मुश्किल तो हमेशा ,
खुद को जीतने में आती है !!
मुझे अब डर नहीं लगता
किसी के दूर जाने से
तअल्लुक टूट जाने से,
किसी के मान जाने से
किसी के रूठ जाने से..
मुझे अब डर नहीं लगता
किसी को आज़माने से
किसी के आज़माने से,
किसी को याद रखने से
किसी के भूल जाने से..
मुझे अब डर नहीं लगता
किसी को छोड देने से
किसी के छोड जाने से,
ना अब शम्मा जलाने से
ना शम्मा को बुझाने से..
मुझे अब डर नहीं लगता
किसी की नारसाई से
किसी की पारसाई से,
किसी की बेवफ़ाई से
किसी दुख इंतेहाई से..
मुझे अब डर नहीं लगता
अकेले मुस्कराने से
कभी ऑंसू बहाने से,
ना इस सारे ज़माने से
ना इक दिन मौत आने से..
मुझे अब डर नहीं लगता
करम की गठरी लाद के
जग में फिरे इंसान
  जैसा करे वैसा भरे
 विधि का यही विधान
करम करे किस्मत बने
  जीवन का ये मरम
प्राणी तेरे भाग्य में
 तेरा अपना करम
प्रयास करने वाले को 
सफलता मिलती हैं 
ये ज्ञान नहीं सच्चाई है
नसीहत नर्म लहजे में
ही अच्छी लगती है
क्योंकि दस्तक का मक़सद
दरवाज़ा खुलवाना होता है 

तोडना नही आओ...

किसी को परखने
की जिद को छोड़कर.....
समझने की कोशिश करते हैं ......
किस धन का मैं  अंहकार करूँ 
जो अंत में मेरे प्राणों को बचा ही नहीं पाएगा...
किस तन पे मैं अंहकार करूँ 
जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा
किन साँसों का मैं एतबार करूँ 
जो अंत में मेरा साथ छोड जाऐंगी
किन रिश्तों का मैं यहाँ आज अभिमान करूँ 
जो रिश्ते शमशान में पहुँचकर सारे टूट जाऐंगे
हाँ याद आया अब कि क्यों न यहाँ मैं अपने नेक कर्मों की पूंजी इकठ्ठी कर लूँ.....   
यह यहाँ भी और वहाँ भी साथ देते हैं ।

  🙏!! Զเधे Զเधे !!🙏 


खूबसूरत है वो हाथ.
जो मुश्किल के वक़्त
किसी का सहारा बन जाये..
खूबसूरत है वो जज्बात.
जो दूसरों की भावनाओं..को समझ जाये..
खूबसूरत है वो आँखे..
जिनमे किसी के खूबसूरत...ख्वाब समां जाये..
खूबसूरत है वो दिल...जो किसी के दुःख मे..शामिल हो जाये.
ज़रूरी नहीं राधा नाम दुःख में लिया जाए,
हो सकता राधा नाम लेने से दुःख ही ना आये...
'रा' कहने से रोग मिटे    
'धा' कहने से बाधा...
परेशान नहीं करती उनको जिंदगी की ठोकरें 
जिन्हें "राधे का नाम लेकर संभल जाने की आदत हो...!!


जिन्दगी

जिन्दगी तेरी भी अजब परिभाषा है,
सवर गई तो दुल्हन और बिखर गई तो तमाशा है ।
घमंड न करना जिन्दगी मे
तकदीर बदलती रहती है..!!
शीशा वही रहता है बस तस्वीर
बदलती रहती है...!!
दुसरो को सुनाने के लिए अपनी
 "आवाज" ऊँची मत करो...
         बल्कि ...
अपना "व्यक्तित्व" इतना ऊँचा बनाओ
 कि आपको सुनने के लिए "लोग" इंतज़ार करे
             
"दर्द" भी "वही" देते हैं ,
जिन्हे "हक" दिया जाता है..
वर्ना "गैर" तो "धक्का" लगने पर भी ,
"माफी" "माँग" लिया करते हैं...
"जीवन" में "हमेशा" एक दूसरे को "समझने" का "प्रयत्न" करें "परखने" का नहीं...
जिंदगी की चक्की में ख्वाहिशों पिसती हैं।
तब जाकर जरूरत भर का आटा निकलता है।
आपकी आत्मा में बसे लोगों के पास ही, 
आपकी आत्मा को छलनी कर देने का सामर्थ्य होता है...!!
                                                                             पूरे  समुंद्र  का  पानी  भी एक  जहाज  को  नहीं डुबा  सकता,  जब  तक पानी को जहाज  अन्दर  न आने दे।
इसी  तरह  दुनिया  का कोई  भी  नकारात्मक विचार  आपको  नीचे नहीं  गिरा  सकता,  
जब तक  आप  उसे  अपने अंदर  आने  की  अनुमति न  दें।"
            
             अच्छा दिल और
           अच्छा स्वभाव दोनो
                आवश्यक है।
    अच्छे दिल से कई रिस्ते बनेगे और
            अच्छे स्वभाव से वो
            जीवन भर टिकेगे!
   
दोस्तों अगर यह हिंदी कवितायें पसंद आएं तो जरूर कमेंट और शेयर करें।😘

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